Monday, October 10, 2016

रोजगार की दुनिया

रोजगार के कई पर्यायवाची शब्द है जैसे नौकरी, जॉब, प्लेसमेंट, कैंपस सिलेक्शन या फिर स्वरोजगार। इन तमाम शब्दों का क्लाइमेक्स है  सफल जीविकोपार्जन कर आत्मनिर्भर होना। कुछ लोग को यह लक्ष्य बहुत जल्द प्राप्त हो जाता है तो कुछ लोग 40 -50 वर्ष की उम्र तक संघर्ष करते रहते है।

आजकल सरकारी नौकरी मिलना भगवन के मिलने से अधिक कठिन है। ऐसे में लोग प्राइवेट सेक्टर की नौकरी या फिर स्वरोजगार का जरिया अपनाते है।  भारत जैसे देश में जहाँ 125 करोड़ लोगो की आबादी है और इसके 65 % युवा है अर्थात 80 करोड़ युवा है। बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे युवा वर्ग के हाथो में हुनर का अभाव है। जो हुनर उनके पास है, उसके तकनिकी पक्ष से अनजान है।

जापान जैसे देश में जहा कोई नेचुरल रिसोर्स अर्थात प्राकृतिक संसाधन नहीं है, लोग तकनिकी रूप से इतने दक्ष है की उनके बनाये गए सामान बाजार में अपने मेड इन जापान टैग लाइन से ही  है।    

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